सरहद पार वालों के ख़त का उत्तर
रेडियो मिर्ची की आर जे सायेमा ने अपने पेज पर एक विडियो पोस्ट किया था जिसमे उन्होंने पाकिस्तान से आई कविता का पाठ किया था और उसका जवाब माँगा था, विडियो का लिंक संलग्न है, इसी विडियो के प्रत्युत्तर में मैंने ये रचना लिखी है : https://www.facebook.com/123125827762022/videos/1098798000194795/
आप सभी की नजर है मेरी ये रचना :
सरहद पार वालों के ख़त का उत्तर
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जब भी तुम आये हो हमने पलकें बिछाई हैं
नफरतें हमारे बीच हुक्मरानों ने फैलाई है
हमने प्यार से देखा है सरहद के उस पार
हर बार वहाँ से सिर्फ गोलियाँ ही आयी हैं
भेजी है तुमने लाहौर की मिटटी की खुशबू
गुलाब की कलियाँ रावी में हमने बहायी हैं
प्यार का पैगाम तुम्हारा आया है पास हमारे
मुहब्बत भरी कुछ नज्में हमने भी गायी हैं
बुझने न देंगे किसी भी क़ीमत पर वो शमा
अमन की खातिर तुमने जतन से जलायी है
रखेंगे ख़त तुम्हारा सम्हाल कर किताब में
बड़े अरसे बाद सरहद पार से चिट्ठी आयी है
“सन्दीप कुमार”
०९/०८/२०१६
मौलिक, अप्रकाशित
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