सरहदों पर आया हूँ
आज उनसे करके मैं आँखें यूँ चार सरहदों पर आया हूँ
मौत तू करें न बेक़रारी से इंतज़ार सरहदों पर आया हूँ
मै भी तो भारत माता का लाल ठहरा सुन मेरे दिल की
मैं भी ठहरा किसी दिल का प्यार सरहदों पर आया हूँ
सुनाकर अपने नन्हे बच्चों को देशभक्ति के गीतों को
सुलाकर देकर अपना ढ़ेरों दुलार सरहदों पर आया हूँ
सोना चाहता मैं भी भारत माता की गोद में चैन से ही
पर ख़त्म करने को आतंकी रार सरहदों पर आया हूँ
रहती मेरे लिये भी बूढ़े नैनो की आस सोचता यही मैं
छोड़ हाथ बूढ़ी माँ को कर बेकरार सरहदों पर आया हूँ
रोया था हां ये दिल भी मेरा कर इसे पत्थरों सा मैं तो
तोड़ किसी दिल को, मन को मार सरहदों पर आया हूँ
हमदर्द