सरस्वती वन्दन
हे श्वेताम्बरा स्वर दे
हर गुण मुझमें भर दे
बुराइयों से रहित कर दे
साहित्य संगीत – कला सहित कर दे
कर दे हमको नित्य-नवीन
हो जाएं कलाओं में हम प्रवीन
नए नित ज्ञान का प्रयोग करें
नूतन प्राचीन का संयोग करें
हे हंसवाहिनी पुस्तकधारिणी
जगकल्याणी,
मेरा उद्धार करो
अब तो नइया पार करो ।