*”सरस्वती वंदना”*
“सरस्वती वंदना”
ऐसा ज्ञान बहा दो मैया ,
चरणों में झुक जाऊँ मैं ,
तम अंधकार मिटा दो मैया ,
अंतर्ज्योति जलाऊँ मैं ,
ऐसी प्रीत जगा दो मैया
निज तेरे ही गुण गाउँ मैं…! !
श्वेत वस्त्र हंसवाहिनी मैया ,
वीणा के स्वर सुन जाऊँ मैं ,
विद्या का भंडार दो मैया ,
तेरी कृपा दृष्टि पा जाऊँ मैं ,
ऐसी प्रीत जगा दो मैया….! !
निज तेरे ही गुण गाऊं मैं…..!
अक्ल के ताले बंद है मैया ,
कैसे द्वार खोल आ जाऊँ मैं ,
मुझको दो वरदान हो मैया ,
झोली भरकर जाऊँ मैं ,
ऐसी प्रीत जगा दो मैया …! !
निज तेरे गुण गाऊ मैं….!
पूजन वंदन पास न मैया ,
कैसी भक्ति ध्यान लगाऊँ मैं ,
सुर लय ताल न पास है मैया ,
निर्मल भाव जगाऊँ मैं ,
तेरे चरणों से लग जाऊँ मैं ,
ऐसी प्रीत जगा दो मैया ….! !
निज तेरे ही गुण गाउँ मैं …! !
ऐसा ज्ञान बहा दो मैया ,
चरणों में झुक जाऊँ मैं।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️
स्वरचित मौलिक रचना