सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
हे श्वेत वसनी पद्मासना माँ जय हो जय हो जय हो तिहारी।
कृपाहस्त से हर लो तिमिर अब हो ज्ञानमय लेखनी हमारी।।
मातु शारदा श्री चरणों में पीतपुष्प हम करते अर्पण।
वीणापाणि दो आशीष शुचि कर दो माँ हर तन-मन।।
हृदय निर्मल सोच शुचि पावन देश प्रेम का भर दो भाव।
कर जोड़े विनती तव चरणों माँ तारो मम जीवन नाव।।
तुम जिव्हा कंठ स्वर बसती आखर -आखर तुम से पाया।
वाणी बुद्धि विद्या दायिनी तेरी ऋणी यह मन यह काया।।
अक्षत रोली पुष्प नैवेद्य वाग्वादिनी तुझे समर्पित।
मैया करो सर्वकल्याण आई बसंत पंचमी हर उर हर्षित।।
रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित, मौलिक व अप्रकाशित रचना
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