Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2021 · 2 min read

सरला की शादी

एक समय की बात है सरला नाम की एक साधारण सा लड़की अपनी विधवा माँ चाँदनी और छोटा भाई अनुज के साथ रहती थी ।वह विवाह के योग्य हो चुकी थी परंतु अनुज केवल आठ वर्ष का बालक था।चाँदनी सरला के विवाह के लिए चिंतित रहा करती थी।

उसके पिता की मृत्यु एक साल पहले ही किसी बिमारी के इलाज न होने के कारण हुई थी। उसके पिता ही उसके परिवार का एकमात्र पालनकर्ता थे । उनके जाने से चाँदनी और बच्चों पर पहाड़ टूट पड़ा था लेकिन चांदनी ने काम करना शुरू किया । वह दूसरों के घर बर्तन धोती तथा झाडू -पोछा का काम करती थी।

उनके पास जमीन का एक टुकड़ा भी था जिसपर वह सब्जियाँ उगाकर बाजार में बेचा करती थी । इसी तरह दूसरों के घर में काम करके तथा सब्जियाँ उगाकर जो कुछ प्राप्त होता था उससे सरला, अनुज. और चांदनी का किसी तरह गुजारा हो रहा था।

सरला स्वभाव से बहुत अच्छी थी। उसका रहन-सहन बिलकुल साधारण सा था । वे अपनी परिवार के स्थिति को समझती थी एवं अपने घर के सारे काम -काज वहीं किया करती थी।

सरला को देखने के लिए लड़के वाले तो बहुत आते थे । वे सरला को तुरंत पसंद भी कर लेते थे लेकिन दहेज नहीं देने के कारण सारे रिश्ते लौट चुके थे,और वे जाते वक्त सरला और उसके परिवार के गरीबी का मजाक भी उड़ाते थे।सरला पूरी तरह से अपनी विवाह की उम्मीद छोर चुकी थीं।
आज फिर एक बड़े घर का लड़का उसे देखने आया था । चाँदनी से जितना हुआ उतना उसने लड़के के परिवार वालों का स्वागत किया । लड़का का नाम कबीर था । वह शहर में बिजनेस करता था और एक अच्छे खानदान से था । उसका पूरा परिवार शहर में ही रहता था |

कबीर को एक अच्छी लड़की चाहिए थी जो कि उसके पूरे परिवार का ध्यान रख सके । इसलिए वह गाँव की लड़की से शादी करना चाहता था। उसने चाँदनी को देखा ।बातचीत करने के बाद कबीर ने सरला को पसंद कर लिया। चूंकि कबीर को मनचाही वधू मिल रही थी, अतः, उसने दहेज की कोई बात नहीं की । कबीर की खुशी में ही उसके घरवाले खुश थे।
कबीर सरला से शादी कर उसे शहर ले गया । वहाँ सरला की जिंदगी अच्छे से बीतने लगी । सरला ने वहाँ के नये तौर-तरीके भी अच्छे से सीख लिए तथा अपने माँ एवं भाई की भी मदद किया करती थी।इस तरह सरला की जिंदगी खुशियों से भर गई।

शीख :- ईश्वर के घर देर हो सकती है, परंतु अँधेर नहीं ।

प्रिय पाठकगण कैसी लगी आपको हमारी सरला की शादी कि कहानी।अपनी भावनाओं को हम तक जरूर पहूँचाइए।धन्यवाद आप सभी को।

Language: Hindi
9 Likes · 6 Comments · 781 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3178.*पूर्णिका*
3178.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
*प्रणय प्रभात*
गीत
गीत
Shiva Awasthi
तुम्हारा दूर जाना भी
तुम्हारा दूर जाना भी
Dr fauzia Naseem shad
दीवाली की रात आयी
दीवाली की रात आयी
Sarfaraz Ahmed Aasee
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
दशहरा पर्व पर कुछ दोहे :
sushil sarna
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
उत्तंग पर्वत , गहरा सागर , समतल मैदान , टेढ़ी-मेढ़ी नदियांँ , घने वन ।
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
Ravi Prakash
अपेक्षा किसी से उतनी ही रखें
अपेक्षा किसी से उतनी ही रखें
Paras Nath Jha
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
"वक्त के पाँव"
Dr. Kishan tandon kranti
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
हिंदी गजल
हिंदी गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
​दग़ा भी उसने
​दग़ा भी उसने
Atul "Krishn"
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
जिसके मन तृष्णा रहे, उपजे दुख सन्ताप।
अभिनव अदम्य
कवियों की कैसे हो होली
कवियों की कैसे हो होली
महेश चन्द्र त्रिपाठी
वासियत जली थी
वासियत जली थी
भरत कुमार सोलंकी
मोह मोह के चाव में
मोह मोह के चाव में
Harminder Kaur
बड़ी सादगी से सच को झूठ,
बड़ी सादगी से सच को झूठ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
साहब का कुत्ता (हास्य-व्यंग्य कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
“गणतंत्र दिवस”
“गणतंत्र दिवस”
पंकज कुमार कर्ण
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
gurudeenverma198
इक ऐसे शख़्स को
इक ऐसे शख़्स को
हिमांशु Kulshrestha
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
बंधन
बंधन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
सच्चे प्रेम का कोई विकल्प नहीं होता.
शेखर सिंह
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
💜💠💠💠💜💠💠💠💜
Manoj Kushwaha PS
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
Ram Krishan Rastogi
भारत शांति के लिए
भारत शांति के लिए
नेताम आर सी
Loading...