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22 Feb 2024 · 1 min read

सरफिरे ख़्वाब

कुछ सरफिरे से ख़्वाब
अपनी तहज़ीब से बाहर
आँखों में बिका करते हैं
रीती सी ख़ामोशी में
हर बार कहा करते हैं ।
उदास धूप तेरे इश्क़ की
रूह को गुनगुनाती है
अलसाई बारिश तेरी याद की
धुँआ-धुँआ कर जाती है ।
कोहरे से परे, वही
पहचाना सा चेहरा
बुझती साँझ का किनारा
वक़्त की हथेलियों में
जमा किया था वो कतरा
उड़ा दिया हवा ने
आलिंगन में लेकर
और समेट दिया मुझको
मुझमें ही
सोच रहा हूँ
कितना ज़रूरी था
किसी का ज़रूरी हो जाना ।

Language: Hindi
57 Views
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