‘सरदार’ पटेल
किया भारत अखंड जिसने
करके रियासतों का मेल
रहे विश्वास पर जो दृढ़
कहलाए वह ‘सरदार’ पटेल।
दी जिसने कर्म की शिक्षा
देश के नौजवानों को।
जा कर बारडोली में दिलाया
अधिकार किसानों को।
फिरंगियों की चाल को जिसने
पल में कर दिया फेल।
रहे विश्वास पर जो दृढ़
कहलाए वह ‘सरदार’ पटेल।
समझ थी राजनीति की
असाधारण गजब उनमें।
मिलाया हर रियासत को
कि हिंदुस्तान में तुमने।
सोच समझ को मान गए सब
कर दिया ऐसा खेल।
रहे विश्वास पर जो दृढ़
कहलाए वह ‘सरदार’ पटेल।
थी जिसकी कर्म ही पूजा
ना पद की थी अभिलाषा
था यर्थाथ पर विश्वास
न देखते स्वप्न दिवासा।
महामंत्री पद त्याग कर जिसने
निस्वार्थ की सिंची बेल।
रहे विश्वास पर जो दृढ़
कहलाए वह ‘सरदार’ पटेल।
प्रसिद्धि पा कर भी जिसने
धरातल को नहीं छोड़ा
रहे निर्धन स्वयं, पर देश को
विकास की राह पर मोड़ा
पहन कर जिसने कर्म किये
टूटे ऐनक की हेल।
रहे विश्वास पर जो दृढ़
कहलाए वह ‘सरदार’ पटेल।
-विष्णु प्रसाद’पाँचोटिया’
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