सरकार
पढ़ा लिखा कभी बेकार जाता नहीं ।
फिर भी पढ़ लिख कर बेकार हूँ मैं ।।
रोजगार हो कर भी खाली खाली हूँ ।
किससे कहूँ ! क्या बेरोजगार हूँ मैं ।।
कब तक सितम यूं सहेंगें पूछा जो ।
सत्ताधारी कुछ नजरें यूँ उठ कर बोली ।।
मेरी फितरत से तो वाकिफ हैं सब ।
तुमको पता नहीं ? *सरकार हूँ मैं *।।