सरकारी निजीकरण।
यह सरकारी निजीकरण कैसा हो रहा है।
पैसे का समीकरण देखो कैसा हो रहा है।।1।।
कुछ भी ना रहा जनता के अधिकार का।
देश का हर सरकारी विभाग बिक रहा है।।2।।
देश की अर्थव्यवस्था कहां चली गयी है।
महगाई की मार से यहां गरीब रो रहा है।।3।।
अपने सपने लेकर जवान टहल रहा है।
साल दर साल बस बेरोजगार बढ़ रहा है।।4।।
कुछ करो सियासत दानों देश के लिए।
दुनियाँ की तुलना में भारत पिछड़ रहा है।।5।।
यूं जुमले पर जुमले बाजी बस हो रही है।
कहते है अच्छे दिन आएंगे विकास हो रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ