Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2021 · 4 min read

सरकारी दफ्तर में भाग (5)

पूजा करने के बाद संजीव ने अपने उन शिक्षकों को फोन किया, जिन्होने उसकी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करायी थी। संजीव ने अपने गुरूओं के मार्गदर्शन में पूरी ईमानदारी, निष्ठा से जुटकर तैयारी की थी और अपने साक्षात्कार की भी तैयारी उन्ही के मार्ग दर्शन में की थी। फोन पर सभी शिक्षकों ने संजीव को उसके साक्षात्कार के लिए शुभकामनायें दी, और साक्षात्कार के लिए कुछ महत्वपूर्ण ंिटप्स भी दिये जिसे संजीव ने पूर्णतः आत्मसात कर लिया। और आखिर वो वक्त आ ही गया, जब संजीव अपने जीवन के उस सफर पर निकल पड़ा। जिसके सन्देश ने कल दोपहर से उसके जीवन में एक परिवर्तन सा ला दिया था। और उसे अपना आने वाला जीवन एक सुन्दर उपवन सा लगने लगा था।

सुबह के 7ः30 बजे संजीव अपने जीवन के नये सफर पर निकल पडा। संजीव अपने साक्षात्कार के लिये घर से निकला तो उसके दिल में एक आत्मिक खुशी सी महसूस हो रही थी। वह उस दिन एक नई उम्मीद और एक नये जोश के साथ उस स्थान पर निकल पड़ा जहाँ उसका साक्षात्कार होना था। संजीव ने अब तक यह नही पढ़ा था कि उसे किस स्थान पर इन्टरव्यू के लिए बुलाया है। हाँ उसने ये तो पढ़ा था कि उसका इन्टरव्यू उसी शहर में है जो किसी वक्त उसके दादा श्री भानूप्रताप सिंह की रियासत का हिस्सा हुआ करता था। और जिस शहर में उसके दादा श्री भानू प्रताप सिंह का महल हुआ करता था। लेकिन उस शहर में किस स्थान पर है यह नहीं पढ़ा था। उस दिन अपने सफर के दौरान जब संजीव ने अपना इन्टरव्यू लेटर खोलकर देखा तो उसमें उसी स्थान का पता था। जहाँ कभी उसके दादा का राजमहल हुआ करता था। जब संजीव ने वह पता पढ़ा तो वह उस स्थान पर पहुँचने के लिए और भी बेचैन हो गया, क्योकि वह पता उसी स्थान का था। जहाँ पर उसकी माँ ने बताया था कि उसके दादा का राजमहल था। संजीव उस राजमहल को देखने के लिए और उत्साहित हो रहा था। क्योंकि उसे यह पता चल गया था कि वो कई वर्षाें के बाद अपने अस्तित्व को करीब से देखेगा।

संजीव के दादा जी की रियासत श्यामतगढ़ जो अब रियासत नहीं रही थी। बल्कि उनकी रियासत के अब कई विभाजन हो चुके थे। एक वक्त में कई किमी तक फैली भानूप्रताप सिंह की रियासत अब पुराने लोगों के केवल दृष्टिपटल उभरी हुयी थी। नई पीढ़ी तो श्यामतगढ़ रियासत के बारे में शायद ही जानती थी। उनके लिये तो श्यामतगढ़ वो शहर था, जहाँ नये जमाने का नया शहर, उसमें बनी नयी इमारते, नयी दुकाने, नये पेड़, पौधे, नयी सड़के, और उस पर दौड़ती भागती नये जमाने की मोटर गाड़ियाँ बिल्कुल एक ऐसा शहर जो अब ऐसा लगता था कि मानो वर्षाें से ऐसा ही हो। अपने नये वक्त और इसी विभाजन ने उसके दादाजी की रियासत को कई टुकड़ो में विभाजित कर दिया था। और ये टुकड़े अपने-अपने नाम से स्थापित हो चुके थे। और उनके क्षेत्रफल के हिसाब से उन्हें कई जिलों और कई तहसीलों में विभाजित कर दिया था। लेकिन इस विभाजन के बावजूद भी एक चीज थी जिसका बदलाव नही किया गया था वो था दादा जी की रियासत का नाम श्यामतगढ़। जो उसके दादाजी के होने का आज भी आभास कराता थी। संजीव के दादाजी भानूप्रताप सिंह के महल के आसपास का इलाका जिला श्यामतगढ़ कहलाने लगा था।

साक्षात्कार के लिए संजीव सुबह 8ः15 बजे वाली ट्रेन से अपने गाँव बख्शीपुर हाल्ट से दूर उस शहर श्यामतगढ़ की ओर चल पड़ा। बख्शीपुर हाल्ट से लेकर श्यामतगढ़ रेलवे जंकशन के बीच मकशूदनपुर, खलीलपुर, बहरामपुर, रतननगर जैसे कई छोटे-छोटे स्टेशन हाल्ट पड़ते थे। हर स्टेशन हाल्ट पर ट्रेन कुछ छणों के लिये रूकती और वहाँ से कई मुसाफिर ट्रेन में चढते और कई मुसाफिर जिनकी मंजिल आती जाती उतरते जाते और ट्रेन को अलविदा कहते जाते। ट्रेन के 01 घण्टे के सफर के बाद सुबह के लगभग 9ः10 बजे संजीव श्यामतगढ़ रेलवे जंकशन पहुँचा। ट्रेन से उतरकर संजीव रेलवे से बाहर पहुँचा और उसने बाहर आकर एक आॅटो रिक्शा को आवाज दी।

संजीव: भइया प्रताप भवन चलोगे।
रिक्शे वाला – जी साहब !

रिक्शें में बैठा और अब अपनी मंजिल के बहुत करीब था। आॅटों में बैठकर उसे एक आत्मिक खुशी महसूस हो रही थी, वह उस दिन वो पूर्ण आत्मविश्वास से भरा हुआ, श्यामतगढ़ रेलवे स्टेशन से अपनी मंजिल प्रताप भवन की ओर चल पड़ा। आॅटो कुछ दूर आगे बडा ही था, महेन्द्र सिंह चैक पर एक आविद नाम का लड़के ने आवाज दी।
उसकी आवाज से आटों वाले ने आटों रोका, और पूछा, ‘‘कहाँ जाना है।’’
आविद: प्रताप भवन।
रिक्शे वाला – जी साहब !

कहानी अभी बाकी है…………………………….
मिलते हैं कहानी के अगले भाग में

Language: Hindi
378 Views

You may also like these posts

"पाठशाला"
Dr. Kishan tandon kranti
सच्चाई
सच्चाई
Seema Verma
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
तकनीकी की दुनिया में संवेदना
Dr. Vaishali Verma
- तेरे प्यार में -
- तेरे प्यार में -
bharat gehlot
3383⚘ *पूर्णिका* ⚘
3383⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
गज़ल
गज़ल
rekha mohan
*चंदा (बाल कविता)*
*चंदा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
दोहा
दोहा
Neelofar Khan
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
Anis Shah
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
हनुमान जी के गदा
हनुमान जी के गदा
Santosh kumar Miri
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
यूं बेवफ़ाई भी देखो इस तरह होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
परोपकार
परोपकार
Roopali Sharma
हर खुशी मांग ली
हर खुशी मांग ली
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना,
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना,
Ranjeet kumar patre
पुष्प की व्यथा
पुष्प की व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
Heart Wishes For The Wave.
Heart Wishes For The Wave.
Manisha Manjari
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
कांग्रेस के नेताओं ने ही किया ‘तिलक’ का विरोध
कवि रमेशराज
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मिला क्या है
मिला क्या है
surenderpal vaidya
थोड़ा हल्के में
थोड़ा हल्के में
Shekhar Deshmukh
सो कॉल्ड अन्तराष्ट्रीय कवि !
सो कॉल्ड अन्तराष्ट्रीय कवि !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
रामराज्य का आदर्श
रामराज्य का आदर्श
Sudhir srivastava
वक़्त जो
वक़्त जो
Dr fauzia Naseem shad
नज़र
नज़र
Shakuntla Shaku
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मैंने मेरे हिसाब से मेरे जीवन में
मैंने मेरे हिसाब से मेरे जीवन में
Sonam Puneet Dubey
One of the biggest red flags in a relationship is when you h
One of the biggest red flags in a relationship is when you h
पूर्वार्थ
रास्ते पर कांटे बिछे हो चाहे, अपनी मंजिल का पता हम जानते है।
रास्ते पर कांटे बिछे हो चाहे, अपनी मंजिल का पता हम जानते है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
विश्वकप-2023
विश्वकप-2023
World Cup-2023 Top story (विश्वकप-2023, भारत)
Loading...