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7 Oct 2023 · 2 min read

*सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)*

सरकारी कार्यक्रम का पास (हास्य व्यंग्य)
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पास भी एक प्रकार से टिकट ही होता है। लेकिन टिकट में पूंजीवाद की गंध आती है, इसलिए अच्छी शब्दावली का प्रयोग करने वाले लोग पास का प्रयोग करते हैं। अगर बेचो, तो पास टिकट बन जाता है। न बेचो, तो पास जुगाड़ हो जाता है।
भारत जुगाड़-प्रधान देश है। अतः जुगाड़ पर आधारित पास व्यवस्था अपने देश में खूब चलती है। जिसके पास में पास है, वही खास है। जिसके पास पास नहीं है, वह मामूली है। जिस तरह मूली का कोई भाव नहीं होता, इसी तरह बिना पास वाले मामूली आदमी का क्या महत्व ?
सरकारी कार्यक्रम के मुख्य द्वार पर केवल एक ही बात देखी जाती है कि तुम्हारे हाथ में पास है अथवा नहीं ? इसी से व्यक्ति के महत्व का निर्धारण होता है। मामूली आदमी के पास भला पास कहां से आएगा ? यह तो शत प्रतिशत नेताओं और अफसरों के चमचों के लिए आरक्षित होता है। जो नेता के जितने पास है, उसे उतनी ही सरलता से पास मिल जाता है। व्यक्ति को चमचागिरी में पारंगत होना चाहिए, एक छोड़ दस पास कहीं के भी ला सकता है।
शहर में अगर बीस लोग घूम रहे हैं और उनमें से दो व्यक्तियों के पास पास है, तो वह मान्यता प्राप्त विशिष्ट व्यक्ति बन जाते हैं । लोग एक दूसरे से पूछते हैं “क्या तुम्हारे पास पास आया है?”
जिनके पास पास होता है, वह कई बार सोशल मीडिया पर गर्व सहित इसकी घोषणा करते हैं। पढ़कर ज्यादातर लोग ईर्ष्या से भर उठते हैं। अरे! यह तो पास वाले हो गए हैं। अगर किसी के पड़ोसी को पास मिल जाए तो यह ईर्ष्या चार गुना बढ़ जाती है।
अपने आप से सरकारी कार्यक्रम में पास वितरित करने की कोई व्यवस्था नहीं होती। आमतौर पर यह रेवड़ी बॉंटने जैसा कार्यक्रम होकर रह जाता है। नेताओं का महत्व पास बांटने से बढ़ता है। चार लोग उनके पास जाते हैं। वह उन्हें पास देते हैं। अपने पास बिठाते हैं। पास लेने वाला धन्य हो जाता है। अफसर अधीनस्थ अफसर को पास बॉंटते हैं। मुफ्त में पास नहीं बॅंटेंगे तो चमचों का क्या होगा ? जुगाड़ पर दुनिया टिकी हुई है। चमचे से बेहतर पास का जुगाड़ भला कौन कर सकता है ? अगर आपको पास चाहिए तो किसी चमचे से संपर्क करें। वह जरूर दिला देगा।
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लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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