Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2024 · 1 min read

*सम-सामयिक*

#मुक्तक-
■ आज का आह्वान।
[प्रणय प्रभात]
कुछ हवा के भी इशारे समझो,
वक़्त है अक़्लमंद हो जाओ।
एक-जुट हो चुके हैं अंगारे,
बादलों लामबंद हो जाओ।।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍

16 Views

You may also like these posts

"शहनाई की गूंज"
Dr. Kishan tandon kranti
गुरू नमन
गुरू नमन
Neha
पुस्तकें और मैं
पुस्तकें और मैं
Usha Gupta
” जिंदगी ”
” जिंदगी ”
Rati Raj
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
Sonam Puneet Dubey
व्यथा हमारी दब जाती हैं, राजनीति के वारों
व्यथा हमारी दब जाती हैं, राजनीति के वारों
Er.Navaneet R Shandily
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
सुनते भी रहे तुमको मौन भी रहे हरदम।
Abhishek Soni
उसका राज चल रहा है उसके ससुराल पहुंँचते ही
उसका राज चल रहा है उसके ससुराल पहुंँचते ही
Akash Agam
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
बढ़ती इच्छाएं ही फिजूल खर्च को जन्म देती है।
Rj Anand Prajapati
जहां आस्था है वहां प्रेम है भक्ति है,
जहां आस्था है वहां प्रेम है भक्ति है,
Ravikesh Jha
हार हमने नहीं मानी है
हार हमने नहीं मानी है
संजय कुमार संजू
दिल का मासूम घरौंदा
दिल का मासूम घरौंदा
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
न पणिहारिन नजर आई
न पणिहारिन नजर आई
RAMESH SHARMA
अंतस के उद्वेग हैं ,
अंतस के उद्वेग हैं ,
sushil sarna
आपका इंतज़ार
आपका इंतज़ार
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
डॉक्टर रागिनी
कृष्ण भजन
कृष्ण भजन
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
चाहत
चाहत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
Manisha Manjari
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
Dr. Man Mohan Krishna
बस यूँ ही
बस यूँ ही
sheema anmol
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
rubichetanshukla 781
ना फूल मेरी क़ब्र पे
ना फूल मेरी क़ब्र पे
Shweta Soni
मौसम
मौसम
surenderpal vaidya
"नारी है तो कल है"
Pushpraj Anant
ये उदास शाम
ये उदास शाम
shabina. Naaz
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
एक प्रगतिशील कवि की धर्म चिंता / मुसाफिर बैठा
एक प्रगतिशील कवि की धर्म चिंता / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
पूर्वार्थ
Loading...