*सम-सामयिक*
#मुक्तक-
■ आज का आह्वान।
[प्रणय प्रभात]
कुछ हवा के भी इशारे समझो,
वक़्त है अक़्लमंद हो जाओ।
एक-जुट हो चुके हैं अंगारे,
बादलों लामबंद हो जाओ।।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍
#मुक्तक-
■ आज का आह्वान।
[प्रणय प्रभात]
कुछ हवा के भी इशारे समझो,
वक़्त है अक़्लमंद हो जाओ।
एक-जुट हो चुके हैं अंगारे,
बादलों लामबंद हो जाओ।।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍