सम्मान
सम्मान
होते थे सम्मान
मिलते थे सम्मान-पत्र
देखी जाती थी
उपलब्धियाँ
तब मिलता था सम्मान-पत्र
अब हर गली
हर मोड़ पर
हो रहे हैं सम्मान समारोह
लग जाती हैं
लंबी कतारें
सम्मान-पत्र
पाने वालों की
योग्य-अयोग्य
सब के सब
इतराते हैं खूब
पा कर सम्मान-पत्र
नहीं मिले इतने सम्मान
सूर-कबीर-निराला को
प्रेमचंद- पंत-बच्चन को
सब के सब
रहे वंचित
इतने सम्मान-पत्रों से
इसे सम्मान कहूँ
या कुछ ओर
-विनोद सिल्ला©