सम्भाल के मुझे , किताब में कौन रखेगा
सम्भाल के मुझे , किताब में कौन रखेगा
छुपा के काँटों को गुलाब में कौन रखेगा ।।
कर लेगें वसूल मुझ को इक इक साँस से
बता दो मेरे आँसू , हिसाब में कौन रखेगा ।।
जब से टूटी है मैं इक रात भी सोया नहीं
बेघर हूँ मैं सजा के ख्वाब में कौन रखेगा ।।
जख्मे दिल की ही मिली है शोहरत मुझे
किमत दे कर मेरी,हिजाब में कौन रखेगा ।।
कुछ मौजे है जो बहुत प्यासी है मुझ मे
मिला के मुझ को शराब में कौन रखेगा ।।
पढ़ कर फेंक देंगे लोग इधर – उधर मुझे
नाम मेरा किसी ,खिताब में कौन रखेगा ।।
ले गये तुम चुरा के मुझे कोई पूछेगा तो
‘पुरव’ कौन है मुझे जवाब में कौन रखेगा ।।