सम्भालो मुझे
बसा लो मुझे
अपने दिल से न ऐसे तो निकालो मुझे
गैरों पे नहीं भरोसा,तुम्हीं सम्भालो मुझे।
मैं तुम्हारा मुकद्दर हूँ दिल से ही पूछ लें
इस तरह बारबार,इश्क़ में न टालो मुझे।
डूब रहा हूँ मैं तेरी मुहब्बत के भंवर में
बढ़ाओ हाथ अपना और बचालो मुझे।
बहुत बैचेन करती है तेरी खामोशियाँ
थोड़ा हँसो और साथ में हंसा लो मुझे।
मेरे लबों की हंसी गर नहीं तुझे गंवारा
आँखों में भर के आँसू, रुला लो मुझे।
चले जाना बेशक मुझे छोड़कर तन्हा
कुछ पल ही सही पास बिठालो मुझे।
हूँ प्रियम तेरे मुहब्बत का ही आशिक़
दिल में न सही रूह में बसा लो मुझे।
©पंकज प्रियम