सम्बन्ध (नील पदम् के दोहे)
बंधीं तटों से नाव तो, क्या लहरों से सम्बन्ध,
इनकी गाँठें खोल दो, हों ये भी तो कुछ उद्दण्ड ।
सर्दी कितनी भी बढ़े, गर्म रखो अहसास,
सर्दी गर्मी तय करे, क्या सम्बन्धों में ख़ास ।
जो जन समय निकाल ले, आपकी खातिर आज,
उसको कभी न भूलियो, उसको रखियो याद ।
जो विपत्ति में साथ दे, उसे नहीं बिसराओ,
काँधे से काँधा दो मिला, जब भी मौका पाओ।
(c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम्”