समुद्री जहाज
पानी में चलता है जहाज,
छोटे और बड़े-बड़े विशाल,
तैरता है मीलों दूर समुद्र में,
लहरों में चलता सपाट,
सैर में जो भी है जाता,
समुद्री जीवो से घुल मिल जाता,
आनंद और भी दुगना हो जाता,
समुद्री जीव जब अठखेलियां दिखाता,
घर जैसा होता है विशाल,
डूबता नहीं है आने पर बाढ़ ।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।