रिश्ते की डोर परिवार,
समुंदर में तब मोती कोन खोजेगा।
रिश्तों में मारियादा को अब कोन समझेगा।।
विश्वास की डोर से ही गुथे जाते है रिश्ते, ।
परिवार की धरोवर् हो जाते है रिश्ते।।
रिश्तों से सत्कार, रिश्तों पर विश्वास,
रिश्तों का अभिमान, रिश्तों से ही मान और मनवार।
रिश्ता दीया का बाती के समान,
खुद जल कर अंधेरे से रोशन करे, व नाम दीया का करे।।
रिश्ते की डोर परिवार का मटका।
जो एक बार चटका समझ लेना सब अटका।।
टूटा परिवार तो ऐसा त्ररास् हो रहा था।
भाई के हाथो भाई का नाश हो रहा था।।
पराकृमि, तेजस्वी, वीरता के प्रतिक थे, ।
बुद्धि कोशल गुरू व कुछ इच्छा मृत्यु से निपुण थे।।
मर्यादा रिश्तों की तोड़ी भगवान से नही समझ पाए, ।
सैकड़ों की संख्या थी अंक तक नहीं बच पयाये।।
अनिल चौबिसा
9829246588