समीक्षा 243वीं दिनांक 5.8.2021
243वीं पटल समीक्षा दिनांक-5-8-2021
बिषय-हिंदी में “स्वतंत्र पद्य लेखन”
आज पटल पर हिंदी में *स्वतंत्र पद्य लेखन था। सभी साथियों ने शानदार रचनाएं पोस्ट की है ग़ज़ल, गीत, कविता, चौकडिया आदि विभिन्न विद्याओं में रस वर्षा हुई है। अधिकांश साथियों ने सावन ,भक्ति और प्रेम पर केंद्रित रचनाएं पटल पर रखी है बहुत सुंदर सृजन किया गया है। सभी साथियों को हार्दिक बधाई।
आज सबसे पहले पटल पर 1 श्री अशोक पटसारिया जी ग़ज़ल में चेतावनी देते हुए कहते है के आपने कर्मों का हिसाब बाद में जरुर मिलेगा इसलिए संभल जाये। बहुत बढ़िया शेर है बधाई।
सुख चैन अमन गर्दिश में हैं, मुफ़्लिश है यहां ईमानोबफा।
नादान वहां जब जायेगा,होगा हिसाब तहखानों में।।
2 रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र से लिखते है कि मृत्यु का कोई भरोसा नहीं कब आ जाये। घटनाएं घटती रहती है अच्छा चिंतन रचना में है बधाई।
दीर्घ जीवी कामना के मंत्र सब हुये गौण,
गतिमान होना चाहे, आज और कल में।
मृत्यु का भरोसा नहीं, कहीं किसी क्षण ‘इंदु’,
आती एक पल में है, जाती एक पल में।।
3 डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी जी ने एक बहुत बढ़िया मदिरा सवैया पटल पर रखा और जीवन का महत्व बताया है। बधाई।
जीवन को अनमोल कहो उपयोग करो भरपूर सदा।
पौरुष से सब काम करो नित आलस को कर चूर सदा।
पालित हो हर पुष्ट विचारण दूषित को कर दूर सदा।
जीवन धन्य लगे तब जान चढ़े जब मोहक सूर सदा।।
4 श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा भगवान श्रीराम को पुनः भारत भूमि में अवतार लेने का आव्हान कर रहे हैं सुंदर भक्ति मय भाव भरी रचना है । बधाई हो दाऊ।
कृपा कोर हर काज में,रुचि राजत श्री राम।
भारत में फिर आइये,शत शत बार प्रणाम।।
राम आपका स्वागत करने,मन का अक्षत चंदन।
भारत माता की बसुन्थरा,करती है अभिनंदन।।
5 श्री किशन तिवारी भोपाल ने छोटी बहर में बेहतरीन ग़ज़ल पेश की नेताओं पर तंज किया है। बधाई।
हम भूखे प्यासे पंछी।तुम ने जाल बिछाये हैं
भोली जनता को तुम ने।केवल ख़्वाब दिखाये हैं।।
6 राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़ से अपनी मोहब्बत का असर कुछ यूं देख रहे हैं।
मिलते ही नज़र देखिए शरमा गये हैं वो।
हम अपनी मोहब्बत का असर देख रहे हैं।।
‘राना’ से दूर कितने भी हो,चाहे,वो,लेकिन
मन से तो उन्हें शामों सहर देख रहे हैं।।
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7 श्री मनोज कुमार उत्तर प्रदेश गोंडा से मासूका की जुल्फ लहराने से बारिश होने की कल्पना कर रहे हैं। प्रेम और श्रृंगार से सजी बढ़िया रचना है बधाई
जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।
मेरे शहर में बारिश होती है।
तुम जब मुस्काती है, बारिश घिर कर आती है।
तेरी चमक है आईना जैसी, साथ में जूगुनुओ की बरात लाती है।
8 डॉ सुशील शर्मा, गाडरवाड़ा से एक बढ़िया नवगीत में मन की बातें लिखते हैं। बहुत बढ़िया बधाई।
काजल लिखना/कँगना लिखना/लिखना मन की बातें।
आँसू लिखना/आँखें लिखना /यादों की तुम/पाँखें लिखना।
9 श्री राम लाल द्विवेदी प्राणेश ,कर्वी चित्रकूट से प्रभु से प्रीत करने की बात कह रहे हैं बहुत बढ़िया भक्तिमय रचना बधाई महाराज।
सुत वित लोक न काम के, किया न प्रभु से प्रीत।
पद्म पत्र वत जी रहो, मन से सुमिरो मीत।१
जिस दिन हंसा उड़ेगा, कंचन पिंजड़ा छोड़।
ता दिन घर बाहर करें, सारे रिश्ते तोड़।२
10— श्री कल्याण दास साहू “पोषक”,पृथ्वीपुर से रघुनाथ जी की सुंदर बंदना कर रहे है बधाई।
धाम-अयोध्या में अवतारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।
कौशिल्या के बने दुलारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।
दशरथ की आँखों के तारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।
वैदेही के प्राण-अधारे , प्रभु श्री रघुनाथ जी ।।
11 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ ने सावन टर केंद्रित एक बेहतरीन चौकड़िया पेश की। बधाई।
हे सखि लगत सुहावन सावन, लौटे हैं भन भावन।
स्वांति बिंदु हित हिय चातक सा,लागो पी पी गावन।
प्यारी परम पवन पुरबैया,लागी बिजन डुलावन।
झूम रहे बादल मतवाले, घड़ी आइ है पावन।
रिमझिम नित पीयूष बरसबें,तिय हिय जिय सरसावन।।
12 श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो से भक्तिरस से सरावोर रचना कह रहे है। बधाई।
तिरूपति बाला जी कलियुग में राम सदृश, विराजे वेंकटाचल हरें सब पीर है।
दर्शन करे जो जाय उनके को भाग्य गाय,पुरे सब अभिलाष रहे न अधीर है।
दुक्ख दोष दूर हों पाप सब चूर हों नौका भव पार हो,फसे नहि तीर है।
श्री निवास उल्लास वेदवती संग रास परिणय कियो खास,नचे मोर कीर है।
13 श्री प्रदीप खरे, मंजुल टीकमगढ़ ने ओलंपिक खेलों पर केंद्रित उत्साह भर्ती एक बढ़िया रचना लिखी है। बधाई।
अंधेरे की आंखों से,हमने रोशनी चुराई है।।
ओलंपिक में किया कमाल,मिल रही चहुँ दिश बधाई है।।
हाकी के टले बुरे दिन हैं,अब खुशियां छाईं है।।
कुश्ती में लगे अजब दांव हैं, अच्छौ को पटकनी खिलाई है।।
बजन उठा एक बिटिया नें,वतन की शान बढ़ाई है।।
14 श्री एस आर तिवारी,टीकमगढ़ एक दोहा महादेव जी समर्पित कर लिखा है। बधाई।
महादेव भोले बढ़े, मूरख सबहि बनाय।
खुद देव अमृत पियें, शिव को जहर पिलाय। ।
15 डॉ अनीता गोस्वामी, भोपाल से सकारात्मकता लेते हुए,स्वयं को पहचानने की कोशिश कविता के माध्यम से कर रही हैं। अच्छी सोच है बधाई।
“यही सोच कर”/*रास्ते नहीं चलते,हमें रास्तों पर- – – /चलना होता है- – –
*रास्ते,तो रास्ते हैं,- – – – – निः शक्त और निष्प्राण- – – – –
*मानव तो सशक्त”है अति बुद्धिमान-
रास्ते ,तो कटीले हैं,फूलों से भी भरे हैं।।
16 श्री मनोज कुमार सोनी रामटौरिया राखी गीत लिखते हैं- गीत लंबा है लेकिन बढ़िया लिखा है बधाई।
उत्सवों के सर सलिल में,कमल दल त्योहार राखी,
भाई बहिन का प्यार राखी,धागों का त्योहार राखी।
है प्रफुलल्लितभाई,बहना झूमती है,
कर तिलक भाई का माथा चूमती है।।
17 * डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल ने रिमझिम फुहार ‘ पर मधुर गीत लिखा है बधाई।
सावन की रिमझिम फुहार लगे प्यारी
कृषक ने भी कर ली है कृषि की तैयारी
सावन मनभावन ये सुखद मास आया
मैलों त्योहारों की धूम साथ लाया।।
18 डी.पी. शुक्ला ,,सरस,, टीकमगढ़ उलझती साँसें का गणित समझा रहे है। बधाई
बदलो ये सारे तौर तरीके अपने !
क्या मिलेगा करके अपमानों में!!
चांद सूरज सभी रहेंगे जगह अापनी !
टूटेगी सांस तेरे ही पैमानों में !!
19 श्री नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा,म.प्र ऐसा कोई गीत गाने के लिए कह रहे है जिसमें गरीबों का दर्द और पीड़ा हर जाये। सुंदर सोच है। बधाई।
भीड़ का ये शोर मिटे, ऐसा कोई गीत गाओ।
बैरन सी ये रात कटे,ऐसा कोई गीत गाओ।।
फुटपाथ पर सोये,भूखे पेट खातिर।
गोदाम वाले पेट फटें,ऐसा कोई गीत गाओ।।
20 श्री एस आर सरल, टीकमगढ़ ने पिया सपने में आये चौकड़िया पेश की हैं। बहुत सुंदर बधाई।
दर्द सुना सखियों सें बोलै,अपनें पन्ना खोलै।
सपने पिया आज घर आये,बइयाँ पकर टटोलै।।
परी सेज पर संग पिया के,बातन में रस घोलै।
बैरी पिया बसें परदेसेंसपनन होत चचोलै।।
21 श्री हरिराम तिवारी “हरि”खरगापुर से मैथिली रस-झूलन उत्सव”। सावन पर बढ़िया रचना लिखते है। बधाई।
सावन में ससुराल में, सिया सहित श्री राम।
झूल रहे झूला झमक, झांकी ललित ललाम।।
झांकी ललित ललाम, सखीं सब साज सजा कर,
श्रावणीं उत्सव करें, मुदित मन मोद मना कर,।।
22 श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ ने भी एक सुंदर चौकडिया लिखी है बधाई।
जय हो माता शेरा बाली, करों देश रख बाली ।
अत्याचार बड़ों दुनिया में , धर्म हुआ अब खाली।।
23 कविता नेमा, सिवनी हिंदी पर केंद्रित रचना में लिखती है कि हमें हिन्दी का सम्मान करना चाहिए। बहुत बढ़िया लिखा है बधाई।
आज हम सब करते ,हिन्दी का सम्मान है ,
ये है राज भाषा ,यही तो पहचान है ।।
विविधता में एकता का ,पाठ ये पढाती है ,
दिशाओं की दूरी को ,एक साथ ये मिलाती है ,
इसीलिए तो ये ,मातृ भाषा कहलाती है ।।
इस प्रकार से आज पटल पै 23 कवियों ने अपने अपने ढंग विभिन्न रसों और बिषय पर कविताएं पटल पर रखी सभी बहुत बढ़िया लगी, सभी रचनाकारों को बहुत बहुत धन्यवाद।
?*जय बुंदेली, जय बुन्देलखण्ड*?
समीक्षक- ✍️राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़ (मप्र)
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़