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12 Oct 2021 · 4 min read

दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी

283-आज की समीक्षा दिनांक 12-10-2020 बिषय- बालिका

आज पटल पर बालिका पर केंद्रित बहुत बढ़िया दोहा पोस्ट किये गये है। सभी ने बढिया कलम चलायी यज्ञ है। सभी को हृदय तल से बधाई।
आज सबसे पहले श्री जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा से लिखते हैं कि सदगुणों से पहचान होती है बधाई बढ़िया दोहे है।
बारिधि होती बालिका,बाल तड़ाग समान।
सदगुण से होती सदा,दोनो की पहचान।।
पावन होबें बालिका,के आचार बिचार।
खूब फलें फूलें सदा,पीहर अरु ससुरार।।

2 ✍️ श्री गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा) से कहते है कि जिस घर में बालिका होती वह घर स्वर्ग होता है। सुंदर दोहे रचे है बधाई।
जिस घर होती बालिका,उस घर होता स्वर्ग।
मिलता कन्यादान से, मनचाहा अपवर्ग।।
पूजी जाती बालिका, देवि रूप में रोज।
सामूहिक या व्यक्तिगत,होते कन्या-भोज।।

3 श्री प्रदीप खरे, मंजुल टीकमगढ़ ने बहुत उमदा दोहे रचे है बधाई।
स्वर्गहिं सीढ़ी बालिका, करो सदा सम्मान।
नरकहिं भागीदार हो,जो करता अपमान।।

कुदरत का है बालिका, अनुपम मम उपहार।
किलकारी गूंजे सदा, करती है मनुहार।।

4 श्री भजन लाल लोधी, फुटेर से बहुत बढ़िया संदेश देते दोहे लिखे है यदि बेटी पढी लिखी हो तो इतिहास रच देती है। बहुत सुंदर बधाई।
बालक अथवा बालिका,दोंनों एक समान ।
भेद भाव का है नहीं,अब कोई स्थान ।।
शिक्षित हो यदि बालिका, संस्कार संयुक्त ।
रच देती इतिहास अरु,कर देती भय मुक्त ।।

5 श्री अशोक पटसारिया नादान जी बालिका समाज की रीड होती है अच्छी सोचयुक्त दोहे है बधाई।
कन्या बेटी बालिका,है समाज की रीड।
उसके बिन पूरी नहीं, हुई किसी की नीड।।
दोनों कुल की जो रखे,मर्यादा वा मान।
जिस घर होती बालिका, वो घर स्वर्ग समान।।

6 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ से कहते है कि बालिका देवी माता के समान होती।
माता समान बालिका,करती घर का काम।
बेटों से बढ़कर करें,आज पिता का नाम।।
जिधर देखिए बालिकाकरो सदा सम्मान।
दोनों कुल रोशन करे,बेटी घर की आन।।

7 श्री प्रमोद कुमार गुप्ता “मृदुल”टीकमगढ दोहे के भाव बहुत बढ़िया है लेकिन मात्राएं का दोष है पहले चरण में 15 मात्राएं हो रही है। धन शब्द हटा दे तो बढ़िया दोहा बन जायेगा। दूसरे दोहे में भी मात्रा गड़बड़ है। खैर प्रयास अच्छा है बधाई।
अनमोल रतन धन “बालिका”.दो कुल की है शान ।
अनुसुइया के प्रेम मे,ललन बने भगवान ।।

हल से हल वर्षा हुई,हल चलांय विदेराज ।
पृथ्वी ने दी “बालिका”,पूर्ण हुए सब काज ।।

8 श्री मनोज कुमार,गोंडा जिला उत्तर प्रदेश के दोहे भी दोषपूर्ण है भाव अच्छे है निम्न दोहे मे रूठे न के स्थान पर रूठती कर दे पहले और तीसरे चरण का अंत 212 मात्रा भार से होना चाहिए।
बालिका कभी रूठे न,बालिका कली रूप।
कभी शांति होती है, कभी दुर्गा रूप।।

9 श्री परम लाल तिवारी,खजुराहो से लिखते हैं कि सखल विश्व में आज बालिका नाम कर रही है। बढ़िया लेख है बधाई।
जिस घर में हो बालिका,उसमें खिलते फूल।
कल कल बहता जल मधुर,सरिता के दो कूल।।
सकल विश्व में कर रहीं,बेटी ऊंचा नाम।
भारत कीं सब बालिका,अतुलित बल की धाम।।
10 श्री – कल्याण दास साहू “पोषक”पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ के सभी दोहे शानदार है बधाई।
लली-लाड़ली बालिका , रखे अनेकों रूप ।
बेटी बहिना भार्या , माता परम अनूप ।।
विदुषी बनती बालिका , बनती पन्ना धाय ।
मरदानी बनकर लडे़ , दुश्मन पींठ दिखाय ।।

11 जनक कुमारी सिंह बघेल भोपाल ने भी श्रेष्ठ दोहों को पटल पर रखा है आप लिखतीं है कि बलिका दुर्गा का अवतार है तो दूसरी तरफ ममता का सागर भी है बहुत खूब,श्रेष्ठ लेखन के लिए बधाई।
शक्ति स्वरूपा बालिका, दुर्गा की अवतार।
दीन – हीन बन क्यों सहे, तू दुनिया की मार ।।
ममता प्राकृत उर बसी, बसा हृदय में प्यार।
तुझसे ही हे बालिका , बसे सकल घर द्वार।।
12 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ ने बहुत शानदार लिखा है बधाई।
बालक हो या बालिका, दोनों घर की शान।
इनमें करता भेद जो , वह तो है नादान।।
जहां खेलती बालिका, वह घर स्वर्ग समान।
मधुरिम अधरों से झरे, मनमोहक मुस्कान।।

13 डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,बड़ा मलहरा से कहते है कि बालिका मंगल कलश के समान होते है। बढ़िया लेखन है बधाई।
मातु, बहिन, बेटी यही, यही प्रकृति परिवार।
सुखद सुसुंदर बालिका, से सारा संसार।
पालें पोशें प्रेम से, रखें हमेशा ध्यान।
घर में होती बालिका, मंगल कलश समान।।

14 श्री हरिराम तिवारी ‘हरि’, खरगापुर से लिखते हैं जो बालक बालिकाओं में भेद करता है वह मूर्ख है। बेहतरीन भावभरे दोहे है बधाई।
बालक हो या बालिका, दोनों प्रभु की देन।
दोनों से परिवार में,मिलता है सुख चैन।।.
दोनों में अंतर करें, कहें बालिका छोट।
अज्ञानी इंसान ये, इनकी बुद्धी खोट।।

15 श्री सुरेंद्र शुक्ला सागर से दोहे तो बढ़िया लिखे है बिषय पर न लिखकर दशहरे पर लिखे है।बिषय पर लिखते तो अच्छा रहता।
16 श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी शासन की योजनाओं को दोहो में अभिव्यक्त कर रहे हैं। बढ़िया दोहे है। बधाई
बढ़े बालिका बाल सम, शासन की यह चाह।
आओ हम सहयोग दें,बढ़े प्रगति की राह।।
जिस घर में हो बालिका,सुन्दरता बढ़ जाय।
परमपिता से प्रार्थना,मेरे भी घर आय।।
17 श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा बालिका बंदनीय होती है हमे इनका सम्मान करना चाहिए। बहुत सुंदर भावपूर्ण दोहे रचे है। बधाई।
मान प्रतिष्ठा बढ़त है, कुल की ऊंची शान।।
जिस घर बालक बालिका ,सुंदर शील सुजान।
-वंदनीय है बालिका, पूजें देवी रूप।
– ब्रजभूषण” मनभावना,क्षमता के अनुरूप।।

18 किरण मोर कटनी से बेहतरीन दोहे लिखे है बधाई।
मन को मोहे बालिका, मुस्काती है देख।
कुल को रखे संभाल कर, दोनों घर की रेख।।
बालक भी अरु बालिका, दोनों अपनी शान।
इक कुल चालक होत है,इक है घर की जान।।
इस प्रकार से आज साहित्यक यज्ञ में 18 आहूतिया डली है।
आज के सभी दोहाकारों का बहुत बहुत धन्यवाद आभार कि आपने बिषय पर नवसृजन कर बढ़िया दोहे रचे है।
जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत

– राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

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