समीक्षा- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ टीकमगढ़
268- आज की समीक्षा दिनांक 13-9-2021
बिषय- छमाबानी
आज पटल पै भौतइ नोने दोहा डारे गये है। सबइ जनन ने बढिया कोसिस करी है। पैला तौ सबइ जनन खौ भौत नोनौ लिखवे पै हमाइ मुलकन बधाई।
छमा वीरयस्य भूषणम हम तो जा कत है कै काम ऐसो करबो चइए की छमा न मांगने परे। आज सबई जनन ने भौत नौने दोहा रचे है।
आज सबसें पैला
1 जयहिन्द सिंह जू जयहिन्द, पलेरा ने भौत नौनी बात कई है कै जीकै दिल में छमा के भाव होत ऊके भीतर दया अरु करुणा विद्यमान होत है। बधाई नोने दोहा रचवे के लाने।
बसत क्षमावानी जितै,बसत उतै नँदलाल।
फिर बिगार को का सकै,माफी माँगत काल।।
रहै क्षमावानी सदा,क्षमावान के संग।
दया और करुना रहै,पल पल उठत उमंग।।
2 श्री अशोक पटसारिया नादान जू कत है कै छमा धरम कौ मूल है। उमदा दोहे लिखे है बधाई।
जाने अनजाने सई, भइ हो कोंनउ भूल।
छमा मांगतइ अपुन सें, छमा धरम कौ मूल।।
छमा करै सो वीर है, उत्तम छमा विचार।
छमा करौ माँगौ छमा, एइ बात में सार।।
***
3 प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़ से लिखत है कै उत्तम छमा महान होत है।
छमा शील सेवा करत,सदा सबहि कल्यान।
छमाबानी मना लियौ,उत्तम छमा महान ।।
करुणाकर करुणा करो,भली करौ जा देह।
बोल छमा बानी मधुर,सब पर करौ सनेह।।
4 श्री रामानन्द पाठक नन्द जू ने किसी से भी बैर नइ रखो और कौनउ खौ नइ सताव चाहिए। नौनै बिचार दोहन में रखे हैं बधाई।
क्षमा धरम की नींव है,दया क्षमा का भाव।
करौ किसी से वैर ना, औरन नईं सताव।।
कोऊ दुरबल जन करै,सहज भाव अपमान।
क्षमा उयै,तुम कर दियौ,हौ तुम बड़े महान।।
5 श्री गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी (बुडे़रा) से कै रय कै छमा सज्जन पै असर करत है दुर्जन लोगों तो लातन सेइ मानत है। सही कहा है । बधाई।
असर क्षमाबानी करै,सज्जन पै सौ वार।
सठ लम्पा सौ येंठबै,सिर पै होत सवार।।
क्षमा करौ,सिर पै चढे़ं,जिनें न तनकउ कूत।
बातन सें मानें नहीं, बे लातन के भूत।।
6 श्री अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल कहते हैं कि यदि कोई जानबूझ के भूल करत है तो उकौं सज़ा ज़रूर दव चाहिए। उमदा सोच है बधाई।
जान-भूल अनुआ करो, सज़ा दीजिऔ सोय,
पाप घटें कछु जनम के, छमा न करियौ मोय ।
सुजन सज़ा ना दै सकें, प्रभु तुम दीजौ मोय,
बड़ी गठरिया पाप की, कछु तौ हलकी होय ।
7 श्री हरिराम जू तिवारी खरगापुर से जैन धरम के नियमों कौ पालन करवे की बात कर रय है भौत उत्तम सोच है बधाई।
परयूषण को परब है, दस लच्छन अपनायॅं।
सबसे नौनी क्षमा है,जैन मुनी समझायॅं।।
जिन वाणीं पालन करें, हिंसा का हो तियाग।
छमा दया करुणा करें, मन में सदा विराग।।
8 श्री अमर सिंह जू राय कत है कै क्षमा मांगने से अंत:करण शुद्ध हो जात है। बढ़िया दोहे है बधाई।
क्षमाबानी को मतलब, हरदम गलत न होय।
बात ख़तम करबे कबहुँ, पिंड छुड़ाबो होय।३
खुद से सोई माँगिये, क्षमाबानी महान।
अंतःकरण सुधारियो, सिखलाउत भगवान।४
9 श्री शोभारामदाँगी नंदनवारा से कत है कै दीन-हीन को सदा छमा कर दव चाहिए। नोनै दोहे है बधाई।
जिए जो कोउ छमा करें, हैं वो ईसुर अंश ।
छमाबानी भाषा मृदु, छोटों रय पथभ्रंश।।
दीन -हीन लाचार कौ, रखवैं सदां जो ध्यान ।
नौनी हो छमाबानी, हो ऊकौ कलयान ।।
10 श्री डी.पी .शुक्ल,,सरस,, टीकमगढ़ जू कै रय कै क्षमावान जैसौ कौनउ गुन नैया।भौत नोनै दोहा है बधाई।
क्षमाबान सौ गुण नहीं,जनमानस के बीच ।
जिनके भीतर ना बसैें। मानो सब सै नीच।।
क्षमा बड़े अब भूल गए। छोटे भूले मान ।।
उत्पाद सबरे मन बसें। बोलत कड़वे वान।।
11 राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़ से लिखते हैं कै हमें ऐसे काम करवौ चाहिए कि कभ उ छमा नै मागनै परे। सुंदर ख्याल है।
रोजउ पाप कमा रये,इक दिन जोरे हात।
का इक दिन ही मांगवे,छमादान मिल जात।।
काम ऐसे करो नईं,छमा मांगतइ आज।
सच के संग चलो सदा,करो दिलों पै राज।।
12 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़ से कत है कै छमा करके वारो वीर होत है उये कमजोर नहीं समजो चाहिए। भौत शानदार दोहे है बधाई।
छमा न जानों दीनता,छमा वीरता आय।
छमा दान सें सुधरबे ,कौ औसर मिल जाय।।
अगर हमारी भूल भी ,खटकत जैसें शूल।।
छमा दान दै कें हमें , भुला दियौ बा भूल।।
13 श्री कल्याण दास साहू “पोषक”,पृथ्वीपुर से उत्तम पुरुष के गुन बतारय है बढ़िया दोहे है बधाई।
छमा करै हर जीव खों , जो भी दुख पौंचात ।
रखै छमाबानी हृदय , उत्तम पुरुष कहात ।।
जितै छमाबानी उतै , क्रोध पनप नइं पाय ।
नैकें रत है आदमी , दया-प्रेम बिखराय ।।
*14- श्री एस आर सरल टीकमगढ़ से जो छमा कर देत है वे संत समान होत है भोत उमदा दोहे है बधाई।
होत क्षमाबानी सदा,सरल शील सै संत।
क्षमा बड़न कौ नूर है,बैर भाव कौ अंत।।
रखत क्षमाबानी नईं, तनकइ द्वैष बुराइ।
क्षमादान में झलकती,सागर सी गहराइ ।।
15 श्री गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़ ने छमा के भौत नौने उदाहरण दय है सभी दोहे जानदार है बधाई।
क्षमाबानी हदय बसें, जियें धर्म को ज्ञान।
क्षमाबान के जानलो ,हिरदे में भगवान।।
क्षमाबानी विष्णु सुनो भृगु मारी लात।
भृगु की पईया पकर, कुशलाई की बात।।
16 श्री संजय श्रीवास्तव, मवई जू कै रय कै छमा से अहंकर गल जात है भौत नौनी सोच है अच्छे दोहे रचे है बधाई।
छमा भाव की छाँव में, अहंकार गल जात।
बैर-भाव सब भूलकें, बैरी भी मिल जात।।
छमादान सम दान नइं,दैबो नइं आसान।
मद की हद में जकड़कें,अकड़त रत इंसान।।
17 श्री ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा, ने छमाबानी के इक इक अक्छर पै नौने दोहा रचे बधाई।
छ-छमा दया ममता जिते,उते परम संतोष।
बनी रहे सुख शांति, त्यागें ब्रज आक्रोश।
मा-मान पान सम्मान है , उन लोगों के पास।
छमा शील बानी छमा, सुनत होय दुःख नाश।।
18 श्री शील चन्द्र शास्त्री, ललितपुर लिखते है की जीके हातन में छमा कौ हथियार है ऊको कोउ कछू नहीं बिगार सकत। बधाई ।
गाली सुनकैं हिये में,उपजै क्रोध फणीस ।
छमा मन्त्र पढ़ लीजियौ, जीतौ क्रोध खबीस ।
कोऊ दुरजन दुस्टजन,का कछु लेयं बिगार ?
जीकैं हांतन में रबै,सदां छमा तलवार ।।
ई तरां सें आज 18 कवियन ने छमाबानी पै केन्द्रित दोहे रचे सभी के भाव भौत नोने हते, श्रेष्ठ सृजन करो है सबई खां बधाई पोचे।
प सबइ ने पने-पने दोहा पटल पै डारे हम भौत आभारी हैं ऐसइ बुंदेली साहित्य कौ नओ भंडार भरत रइयो।
जय बुंदेली,जय बुन्देलखण्ड,जय भारत
– राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
एडमिन- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़