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19 Dec 2021 · 2 min read

समीक्षकों के चक्कर में( हास्य व्यंग्य)

समीक्षकों के चक्कर में( हास्य व्यंग्य)
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हम एक बार समीक्षकों के चक्कर में फँस गए । हुआ यह कि हमने एक गद्य की कुछ पंक्तियां लिखकर समीक्षा के लिए प्रस्तुत की थीं। पंक्तियां इस प्रकार थीं :-
“हम सड़क पर जा रहे थे । रास्ते में एक कुत्ता भौंका । उसने हमें काटा । फिर हमने चौदह इंजेक्शन लगवाए।”

समीक्षा के लिए गद्य जैसे ही पटल पर प्रस्तुत हुआ ,समीक्षक उस पर टूट पड़े । एक समीक्षक ने लिखा:- “हम सड़क पर जा रहे थे । इसमें से _सड़क पर_ लिखने की आवश्यकता नहीं है । जब आप जा रहे थे तो सड़क पर ही जाएंगे। हमने उनकी बात मान कर गद्य में से _सड़क पर_ शब्द हटा दिए।
एक दूसरे समीक्षक ने हमें राय दी जब आप सड़क पर जा रहे थे तो _रास्ते में_ तो स्वयं होंगे । अतः _रास्ते में_ लिखना अनावश्यक है । उनकी राय मानकर हमने अपने गद्य में से _रास्ते में_ शब्द भी हटा दिया ।
एक तीसरे समीक्षक ने कहा कि _कुत्ता_ और _भौंका_ यह दोनों शब्द साथ-साथ लिखना ठीक नहीं लगता । जब कुत्ता है तो भौंकेगा और अगर भौंका है तो वह कुत्ता ही होगा । बिल्ली या चूहा तो भौंकता नहीं है। अतः दोनों में से कोई एक शब्द हटाना पड़ेगा। हमने पूछा “किसे हटाएँ ?” वह बोले _कुत्ता_ हटा दो । हमने _कुत्ता_ हटा दिया।
एक अन्य समीक्षक ने हमें समझाया कि बंधु विचार कीजिए । जब कुत्ता भौंका तो किसने काटा ? कुत्ते ने ही तो काटा ? अर्थात जो भौंकता है ,वही तो काटता है । आपने क्यों लिखा कि _उसने_ हमें काटा ? _उसने_ शब्द की आवश्यकता नहीं है । हमने तुरंत _उसने_ शब्द भी हटा दिया ।
फिर एक अन्य राय आई कि _हमें काटा_ की आवश्यकता क्यों पड़ रही है ? जब आप सड़क पर जा रहे हैं और कुत्ते ने काटा है तो स्वाभाविक है कि आपको ही काटा होगा । आप यह क्यों लिख रहे हैं कि _हमें_ काटा ? _हमें_ शब्द हटा दीजिए । हमने हमें शब्द भी हटा दिया ।
समीक्षा अभी समाप्त नहीं हुई थी । एक समीक्षक का विचार था । _फिर हमने_ चौदह इंजेक्शन लगवाए ,इसमें से _फिर हमने_ शब्द भी हटाना चाहिए क्योंकि जब कुत्ते ने काट लिया ,उसके बाद ही तो इंजेक्शन लगे । अतः _फिर_ शब्द की आवश्यकता नहीं है । इसके अतिरिक्त जिसको काटा गया ,उसने ही इंजेक्शन लगवाए होंगे । अतः _हमने_ शब्द की भी कोई जरूरत नहीं बैठ रही है । केवल इतना लिखना पर्याप्त है कि चौदह इंजेक्शन लगवाए ।
समस्त समीक्षकों के सुझावों को सिरमाथे लगाने के बाद हमारा गद्य कुछ इस प्रकार बना :-
“हम जा रहे थे भौंका काटा चौदह इंजेक्शन लगे।”
पढ़कर एक पाठक ने कहा :- “महोदय, जो आप कहना चाहते हैं ,उसे स्पष्ट रूप से कहिए । गुप्त संकेतो से गद्य नहीं लिखा जा सकता।”
उस समय सारे समीक्षक समीक्षा निबटा कर चले गए थे। हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि अब हम क्या करें ?
—————————————————-
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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