*समान नागरिक संहिता गीत*
समान नागरिक संहिता गीत
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बनकर एक समान नागरिक, दुनिया को दिखलाऍंगे
1)
एक राष्ट्र जन एक हमारा, अभिनव भावी नारा
एक सूत्र में हमें बॉंधना, भारत होगा सारा
चलकर एक चाल से अपनी, मंजिल तक हम जाऍंगे
2)
अलग-अलग हैं धर्म हमारे, पंथ अलग कहलाते
अलग-अलग पूजाघर में हम, पूजा करने जाते
राष्ट्रदेव है किंतु एक यह, मुट्ठी बॉंध बताऍंगे
3)
बनता है बलवान देश जब, मन सबके मिल जाते
अलग कोष्ठकों में सीमित हम, नजर नहीं जब आते
आपस में जो हमें जोड़ दे, वह कानून बनाऍंगे
बनकर एक समान नागरिक, दुनिया को दिखलाऍंगे
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451