Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

समाज

समाज

पानी सा तैरता जीवन
धपाक छपाक फिर निशब्दता
निशब्दता से उपजता कोलाहल
कोलाहल में सन्नाटा
सन्नाटों से उपजता शोर
शोर से हो जाता भयावह माहौल
माहौल को और गंभीर बना देता अंतःकरण का आर्तनाद
आर्तनाद कों अब सुनने वाला कोई नहीं
नहीं नहीं अब और नहीं कहने वाला है कोई
कोई शेष लगता बचा नहीं, मरघट सा जीवन लगे सही
सही ग़लत का भेद नहीं, अपने को माने सही सभी।
सभी ने की सभा ज़बरदस्त
ज़बरदस्त का भी निकलने लगा है दम
दम की तो कोई बात नहीं, अपने को कमतर अब आंकता नहीं कोई ।
कोई कोई है अब भी अच्छा, जो कर सकता है समाप्त बुराई,
बुराइयों से ही पनपता व्यभिचार है
इसे ख़त्म करने में ही सबका कल्याण है।

डॉ. अर्चना मिश्रा
दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*सच्चे  गोंड और शुभचिंतक लोग...*
*सच्चे गोंड और शुभचिंतक लोग...*
नेताम आर सी
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सब चाहतें हैं तुम्हे...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कल्पना ही हसीन है,
कल्पना ही हसीन है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
"यादों के झरोखे से"..
पंकज कुमार कर्ण
बन के आंसू
बन के आंसू
Dr fauzia Naseem shad
सारा सिस्टम गलत है
सारा सिस्टम गलत है
Dr. Pradeep Kumar Sharma
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War
Shyam Sundar Subramanian
मैं तुलसी तेरे आँगन की
मैं तुलसी तेरे आँगन की
Shashi kala vyas
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
The News of Global Nation
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बीता हुआ कल वापस नहीं आता
बीता हुआ कल वापस नहीं आता
Anamika Tiwari 'annpurna '
लोगो समझना चाहिए
लोगो समझना चाहिए
शेखर सिंह
उसके कहने पे दावा लिया करता था
उसके कहने पे दावा लिया करता था
Keshav kishor Kumar
#मुक्तक
#मुक्तक
*प्रणय प्रभात*
गुनाह लगता है किसी और को देखना
गुनाह लगता है किसी और को देखना
Trishika S Dhara
हौसला
हौसला
Monika Verma
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dheerja Sharma
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
हवा तो थी इधर नहीं आई,
हवा तो थी इधर नहीं आई,
Manoj Mahato
निलय निकास का नियम अडिग है
निलय निकास का नियम अडिग है
Atul "Krishn"
"विश्वास"
Dr. Kishan tandon kranti
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
****शीतल प्रभा****
****शीतल प्रभा****
Kavita Chouhan
*पर्वतों की सैर*
*पर्वतों की सैर*
sudhir kumar
*.....थक सा गया  हू...*
*.....थक सा गया हू...*
Naushaba Suriya
वर्ल्डकप-2023 सुर्खियां
वर्ल्डकप-2023 सुर्खियां
गुमनाम 'बाबा'
2826. *पूर्णिका*
2826. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आजा आजा रे कारी बदरिया
आजा आजा रे कारी बदरिया
Indu Singh
माता की चौकी
माता की चौकी
Sidhartha Mishra
Loading...