#समाज
ये जो तुम्हारा अनोखा ‘राज ‘है ,
कि तुमने पहना हैवानियत का ‘ताज’ है ,
ये जो तुममें ढकोसलों का ‘साज’ है ,
जिसपे तुमको इतना ‘नाज ‘है ,
इन हरकतों से आती ना तुम्हें ‘लाज’ है ,
बताते यही हो कि यही ‘समाज’ है ,
ये जो तुममें कल भी था वही ‘आज ‘है,
मर्यादा के चोले में ‘धोखेबाज’है ,
माना कि इन्हीं सबमें तुम्हारा ‘राज’ है ,
पर यकीन मानो यही तुम्हारे पतन का ‘आगाज ‘है ।