समाज की मोल सोच
जब धरती ने जिंदगी को सजाया,
बदलाव का आगाज़ यहीं से हुआ।
पुरानी सोचों को चुनौती देती,
नई दिशाएँ, नए सपने लाती।
तकनीक का जादू, संवेदनशीलता का रंग,
समाज के रंग-बिरंगे सपनों की धारा तेज भाग।
जन-जन में बदलाव की है भरमार,
नए धरोहर, नई दृष्टि की सृष्टि कर।
जीवन की संगिनी पर लिखा नया इतिहास,
समाज की मोल सोच ने दिखाया रास्ता साफ़।
बदलाव की लहर लेकर आए,
समाज को नई दिशा, नयी पहचान बनाए।
समाज की मोल सोच, नया सफर,
बदलते समय में आत्मविश्वास की पुकार।
ना हो धीरे से, ना हो झटके से,
समाज में बदलाव, एक संवेदनशीलता की धारा बहाए।
समाज की मोल सोच ने सिखाया,
बदलाव की लहरों का सामर्थ्य, नए सपनों का जादू दिखाया।