समाजसेवा
“सुनो, कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। कुछ परिवार की भी चिन्ता है या बस समाजसेवा में ही लगे रहोगे।”
चुनाव – रैली से लौट कर घर पहुँचे, नेताजी को पत्नी ने घेर लिया।
“चिन्ता मत करो, सब व्यवस्था कर दी है। चिकित्सा से लेकर घरेलू जरूरत के किसी भी सामान की पूर्ति बस एक फोन काल पर तुरंत पहुँच जायेगी, यही तो समाजसेवक होने का फायदा है। तुम तो व्यर्थ चिन्तित रहती हो।”
पत्नी को समझा, खाना खाकर नेताजी विश्राम हेतु शयनकक्ष में जाकर सो गये। अर्द्धरात्रि में कुछ बेचैनी अनुभव कर नेताजी उठ बैठे। सीने में तीव्र पीड़ा थी। समस्त परिवार में अफरा – तफरी सी मच गयी। नौकर – चाकर, सहायक सभी आ जुटे। तुरंत ही गाड़ी में हास्पिटल की ओर चले किन्तु नेताजी की व्यवस्था प्रभु की व्यवस्था के समक्ष टिक न पायी।
अगले दिन प्रातः प्रमुख समाचार चैनलों पर हैडलाइन चल रही थी। कल रात्रि शहर के जाने – माने नेताजी का अनायास हृदय – गति रूकने से निधन हो गया। सम्पूर्ण नगर में इस समाचार से शोक की लहर है।
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- १९/०५/२०२१.