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5 Dec 2016 · 1 min read

समाजवाद

कविता
समाजवाद

*अनिल शूर आज़ाद

बरसों पहले
यहां एक/कामरेड आता था
हमेशा वह/ यही कहता था
समाजवाद आएगा
शोषण-चक्र टूटेगा
सबके चेहरों पर/मुस्कान होगी
मां भारती तब खुशहाल होगी

इस बात को/ अर्सा हो गया है
समाजवाद/अभी नही आया है
कामरेड भी/ जाने कहां गया है

हां..कभी-कभार
कुछ टोपी वाले
कह उठते हैं
समाजवाद आएगा
तब हंसते हैं/लोग उन पर
(लेकिन..भीतर कहीं
रोते हैं सबके सब! )

अच्छा..तुम ही कहो दोस्त..
क्या समाजवाद कभी आएगा?

(रचनाकाल : वर्ष 1983)

Language: Hindi
399 Views

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