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विवेक कोरोना महामारी को लेकर “प्रधानमंत्री केयर फंड” में दान करके गर्व महसूस कर रहा था|
अपने सहकर्मियों को भी दान करने के लिए प्रेरित कर रहा था|
वह दान करके सोच रहा था कि उसके दान किए धन से गरीब श्रमिकों का भला होगा|
तदुपरांत श्रमिकों की भुखमरी, पैदल हजारों किलोमीटर चलने के समाचार देखे तथा अमीरजादों को विशेष विमान से, विदेश से लाने के समाचार देखे|
समाचारों ने व अखबारों ने उसे विचलित कर दिया| वह अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहा था|
-विनोद सिल्ला©