समाचार की मनहरण (व्यंग रचना)
चित्र का चरित्र आज, लगता विचित्र आज
दर्द में भी मित्र आज, जोर की खबर है।
चाहे मरे कोई जिए, जीना चैनल के लिए
भेद करनी में किये, दौर की खबर है।।
सत्य जो बिलखता है, झूठ खूब छपता है
तथ्य कौन लिखता है, भोर की खबर है।।
आजकल समाचार, बन गया रोजगार
सारहीन भी विचार, गौर की खबर है।।