प्रेम
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समस्त सृष्टि का आधार है प्रेम।
निर्मल,कोमल,निर्विकार है प्रेम।
जो मन से अंधकार को मिटाता,
हृदय ज्योतिर्मय आकार है प्रेम।
-लक्ष्मी सिंह ? ☺
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समस्त सृष्टि का आधार है प्रेम।
निर्मल,कोमल,निर्विकार है प्रेम।
जो मन से अंधकार को मिटाता,
हृदय ज्योतिर्मय आकार है प्रेम।
-लक्ष्मी सिंह ? ☺