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अमरेश गौतम'अयुज'
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22 Apr 2017 · 1 min read
समसामयिक
छोड़ दो कोशिशें किसी को जगाने की,
अब कहां फिक्र है किसी को ज़माने की।
Language:
Hindi
Tag:
कविता
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· 328 Views
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