मैं पुकारूंगी सदा
मैं पुकारूंगी तुम्हें,
हर बोल में बोलो न बोलो।
साधना हो तुम्हीं मेरी,
संग में ले लो न ले लो।
मेरे जीवन का तुम ही ,
आगाज़ हो व अन्त भी।
साथ तेरे चल दिए
संग में ले लो न ले लो।
यदि वफा दोगे हमें,
जीवन में मुस्कुरायेंगे।
यदि सज़ा दोगे कोई
उसे प्रेम से सजायेंगे।
अब करम तेरे हर एक
मंजूर हमने कर लिए।
तेरी खुशियां तेरे गम
सब संग अपने कर लिए।
हो विरत स्व से, गही
अनुरक्ति तुझमें ही सदा ।
प्रीत से ही हम गढ़ेंगे,
नीड़ अब ये सर्वदा।