समय
समय से कुछ माँगा मैंने
कुछ चाह थी, परवाह थी,
पर असमय ही दिया तूने,
कुछ रिश्ते माँगे, सिर्फ़ एहसास दिया तूने,
कुछ चीज़ें माँगी, हर पल इंतज़ार दिया तूने,
कुछ वक़्त माँगा, बढ़ते काल का जाल दिया तूने,
अब कुछ ना मागूँगा, ख़ुद ही हासिल कर लूँगा,
बिन माँगे ही यह विश्वास दिया तूने,
क्या माँगू अब तुझसे,
जो दिया, जब दिया,
सही समय ही दिया तूने ।
२८ नोवेंबेर, २०१७