समय सरकता जा रहा
समय सरकता जा रहा ,बात पते की जान l
मुट्ठी जैसे रेत की ,या गरीब का मान ll
या गरीब का मान, पान बिन कत्थे जैसा l
जगत करे अपमान, रहे पास में ना पैसा ll
छोट अमीर गरीब ,सभी समय को रोते l
होत और ही बात,जो काम समय से होते ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l