समय साक्ष्य है
समय बढ़ रहा है हम उसमे गढ़ रहे है
नीर निरंतर अभ्यास जारी है
भर भी हम भर समय भारी है
करवटें बदल रहे है
शाम भी ढल रही है
सुबह उजाला की किरण छा रही है
लहरे भी निरंतर बढ़ रहे है
साहासे भी पल पल उजागर कर रही है
परिश्रम नित्य पाठ पढा रहा है
कर्म भी अडिक किये जा रहा है
सोच रहा हूँ उड़ चलू आसमा में
बैठने के लिए जमी भी चाहिए
समय साक्ष्य है
फिर भी हम पर भारी है
बदले जो समय को
भाग्य वो बनाता
न वक्त से आगे न वक्त से पीछे
चलना है तो चल वक्त के संग संग।
सारी दुनिया बैरागी हो जाती हैं
जब वक्त हो अपने संग
दुनिया चल रही निरंतर वक्त की भीड़ पर
हमे चलना है अकेले ही इतिहास गढ़ने की सीख पर
समय साक्ष्य है
समय निरंतर बढ़ रहा है……….