समय सम्पदा
किसे ज्ञात है अंत समय कब आएगा।
ज्ञानी कार्य समय रहते निपटायेगा ।।
समय निकालो जग को अपना करने का।
अपनों से मिलने, मिलकर बातें करने का।।
बतियाने का समय मिले तो पुस्तक पढ़ना।
पढ़ने का यदि समय मिले तो पर्वत चढ़ना।।
करना सैर महासागर की मरुथल की।
फुर्सत सैर सपाटे की यदि हो पल की।।
अपनों के बीच रहो प्रमुदित आनंदित हो।
गीत सुनो गाओ नाचो आह्लादित हो।।
इतना जो समय मिले समझो किस्मत जागी।
तुझसे ज्यादा कौन सुखी ओ बुद्धू बड़भागी!!
संजय नारायण