समय यूँ गुजर गया
समय यूँ गुजर गया,
बचपन मेरा ले उड़ा।
मैं बेबस देख रहा हूँ,
कर दिल को कड़ा।।
लगती हैं छोटी अवधि,
जैसे बात हो कल की।
छिन गया वो बचपना,
खबर न मिली पल की।।
दुनिया के इस मेले में,
भरी पड़ी हैं उलझन।
रिश्ते नाते भी धूमिल,
परिवर्तित हैं तन मन।।
रोज देखता हूँ आईना,
मिलता नहीं वो बच्चा।
दिल मेरा अभी भी वही,
दिखता सब कुछ सच्चा।।
समय यूँ गुजर गया,
बचपन मेरा ले उड़ा।
—-जेपी लववंशी