समय-प्रबंधन #100 शब्दों की कहानी#
मेरे चाचाजी का टुरिंग जॉब होने के कारण व्यस्तता के चलते वे न घर की तरफ ध्यान दे पाते, न ही चाची और तीन बेटियों की परवरिश पर । चाची भी नौकरी पेशा थीं, पर इस स्थिति में बार-बार शिफ्टिंग और आना-जाना मुमकिन नहीं था । समय-प्रबंधन की प्राथमिकता को समझते हुए आखिरकार उन्होंने नौकरी छोड़ने के फैसले के साथ ही बेटियों के साथ एक ही स्थान पर रहने का निर्णय लिया ।
आज तीनों बेटियां अपनी शिक्षा पूर्ण करके इंजीनियर बन गई, यह एक मां के ही सही-समय पर लिये उचित निर्णय का सफल परिणाम है ।