समय गति
समय गति कभी मधुर सुबह कभी संध्या हैं
कभी प्रभात चमक कभी भयावह अन्धकार है
कभी जीत ध्वज तो कभी हार नैतिक मूल्यों की है
कभी मूल्यों की हार सी तो कभी साथ का प्रतीक हैं।
समय गति कभी मधुर सुबह कभी संध्या हैं
कभी एकता की झलक तो कभी तकरार हैं
कभी नित घटित प्यार तो कभी यादे साथ है
कभी वर्तमान की मार तो कभी आज का प्रहार हैं
समय गति कभी मधुर सुबह कभी संध्या हैं
कभी ये हँसी-ठिठोली तो कभी परेशानियां हैं
कभी मिलन समय का तो कभी पीड़ा बिछोह हैं
कभी बरसता सावन तो कभी दुख की पीड़ा है
समय गति कभी मधुर सुबह कभी संध्या हैं
कभी कर्मों का मेला तो जीवन झमेला हैं
कभी राम’सी मूरत तो कभी कृष्ण अलबेला हैं
कभी चिंतन बहुत तो कभी बेपरवाही अपार हैं।