समय के बोल
स्त्री और मिस्त्री दोनों समझ में नहीं है आते
बिगड़ जाएं एक बार जो काबू में नहीं है आते
नाई और दाई दोनों के हैं गुण सभी एकसमान
बीच अधर में यदि छोड़ते नही सिरे चढे कमान
औरत और बालक सदा हैं मांगते बड़ाई के बोल
जब तक खुराक रहे मिलती आगे बढें बिन मोल
खुराक रहे सदा मिलती आदमी ,घोड़ा रहे जवान
बड़े से बड़ा कारज कर देंवे कह गए लोग विद्वान
नेता और अभिनेता दोनों को चाहिए सदैव शोहरत
हों जाए अगर मशगूल तो मांगे मिलन की मोहलत
आँखों का आँखों से ही सदा होता आया है मिलान
प्रेम सदा अन्धा होता है कह गए लोक बड़े विद्वान
सुखविंद्र सिंह मनसीरत