समय की रेत
समय_की_रेत
यह समय ही तो है -जो ,
सदा फिसलता रहता है ,
रेत की मानिंद अनवरत ,
कभी रुका है किसी के लिए ,
क्या ..!
यह समय ही तो है -जो |
कभी किसी से कुछ कहता नहीं ,
बस ,आता है और चला जाता है ,
बेआवाज …..चुप चाप ,
बस ,छोड़ जाता है यादें ,
क्योंकि ,
यह समय ही तो है -जो |
आओ चलें और थाम लें उसे ,
अपनी इच्छा शक्ति की मुट्ठी में ,
और ,
करें सदा सदुपयोग उसका ,
परोपकार और देशहित में ,
क्योंकि ,
यह समय ही तो है -जो ,
सदा फिसलता रहता है ,
रेत की मानिंद अनवरत ..||
शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली ,पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
12-02-2024