*समय की रेत ने पद-चिन्ह, कब किसके टिकाए हैं (हिंदी गजल)*
समय की रेत ने पद-चिन्ह, कब किसके टिकाए हैं (हिंदी गजल)
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1)
समय की रेत ने पद-चिन्ह, कब किसके टिकाए हैं
सभी की याद धुॅंधली है, यहॉं जो-जो भी आए हैं
2)
यहॉं पर बादशाहत भी, बहुत ज्यादा नहीं चलती
नए राजा ने सारे द्वार, पहले के ढहाए हैं
3)
अगर सच पूछिए तो उम्र, कब की हो चुकी पूरी
बड़ी मुश्किल से दो दिन और, समझो मॉंग लाए हैं
4)
चुनावों में सभी ने बस, चुना है देश का नेता
नहीं सांसद ये भ्रम पालें, कि जनता के जिताए हैं
5)
बनाऍं एक सुखमय दृश्य, पर्वत पेड़ नदियों से
नमन वह क्षण है जब पक्षी, हवा में चहचहाए हैं
6)
नमन उस दौर को जब खूब, सेहरा-गीत चलते थे
न जाने शादियों में कितने, यह कवियों ने गाए हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451