समय की बांसुरी
समय की अभिनव रसीली बाँसुरी पर …
कौन है ,,,जो जागरण के गीत गाये ,…………….
खिल उठी कलियाँ ,,गमक से भर उठा नभ है ,,,,,,
प्रकृति का वह इन्द्रधनुशी दिव्यआँचल ,,
पक्षियों के दल लगें हैं चहचहाने ,,,,,,,,,,,,,
है सरोवर में मुदित उत्फुल्ल ,शतदल
कुछ नयी सी ज्योतियाँ ,,आकर प्रभाकर
सुप्त जन मन उगलियों से गुदगुदाए ,,,
पी रहे है ,,स्वर विषमता के गरल को ….
शंकरी वह शक्ति ,शाश्वत है ,अमर है ,,,,
हो रहा निर्मल धरा आकाश का तन
पवन के प्रति श्वास में जीवन मुखर है …
छु सका है आदमी का मन गगन को …
तन धरा पर कर्म की गंगा बहाए …………………………….
समय की अभिनव रसीली बाँसुरी पर कौन है ……..
सतीश पाण्डेय