समय की धारा
समय की धारा बहती जाती
कभी नहीं वह रुकती है
जीवन का संगीत सुनाती
कभी नहीं वह थकती है
समय की धारा बहती जाती।
खुशी हो या अवसादित क्षण
धार निरन्तर चलती है
लाख रुकावट बन्धन आएं
सागर में जा मिलती है
समय की धारा बहती जाती।
चाहे नरम बिछौनों पर
ले लो निद्रा में विश्राम
चाहे कठिन परिश्रम कर के
जग में कर लो अपना नाम
समय की धारा बहती जाती।
रुक कर लो आनन्द पलों का
या करते जाओ कुछ काम
इच्छाओं को विजय करो तुम
और बन जाओ आप्तकाम
समय की धारा चलती जाती।
प्रेम करो या द्वेष करो तुम
खाओ या उपवास करो
रहो नगर या वन उपवन में
जहां भी चाहे वास करो
समय की धारा बहती जाती।
दान करो या संग्रह कर के
करो तिजोरी अपने नाम
कुटिल बनो या बन के सज्जन
तुम आ जाओ सब के काम
समय की धारा चलती जाती।
भोग करो या त्याग करो तुम
बैरागी बन बैठो मीत
रण छोड़ो या युद्ध करो तुम
विश्व में कर लो अपनी जीत
समय की धारा बहती जाती।
विपिन