समय की चाल समझ मेरे भाय ?
समय की चाल समझाता है ?
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चाल चलाकी चहल कदमी
चलती नैया समय की भैया
जीव जीवन डुबोती खेवैया
चाल चलाकी समय है भैया
चाहत चाल अनोखी माया
बनती बिगड़ती निज काया
समय चलती ना रुकती पर
चलती चक्का जाम कराती
माया की काया लाजबाव है
चलती नैया जीवन को क्षण
डुबो देती पर डुबते को तिनके
सहारा से आत्म बल बढ़ातीं है
जीवन में चार चांद लगा देती
समय की चाल सबको समान
अवसर देती पर समझ अपनी
समय बेजान अनजान जग में
वेवफाई ईमानदारी परोपकारी
समय कीअनोखी चाल निराली
निरा को अमृत मीरा की भक्ति
आस्था प्यार करुणा की शक्ति
समय समय में समय की चाल
रिझाती दिखाती रात दिवाली
दिवा काली कर समय समझाती
समझा जिस नें बेडा पार किया
ना समझा डुबो दी अपनी नैया
समय है बलवान जिन होती ना
असर भाले तलवार कुठार घाती
समय की रौद्रता रुद्र पर भारी
अवतार सिर्फ इतिहास बनाती
देख सुन सीखते जन संसारी
समय चाल करती ना आवाज
पर जन को बनाते मूक वाचाल
सोच विवेक से बढ़ चल मेरे भाय
।जीवन का वास्तविक सत्य यही
समय की चाल समझना जरूरी
जीना सफल बनाता है मेरे भाय
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कविवर :
तारकेश्वर प्रसाद तरुण