समय का नजराना
कौन कहता है,
मैं आगे हूँ ।
कौन कहता है,
मैं पीछे हूँ ।।
ना कोई किसी से आगे है,
ना कोई किसी से पीछे है ।
आगे पीछे होने का,
चलता रहता है क्रम ।।
कम्पटीशन का जमाना है, मेरे दोस्त,
आज मेरा तो कल उसका नजराना है ।
यहाँ कोई नहीं है किसी से कम ।
तुम तोड़ दो सारे भ्रम ।।
जो मेहनत किया, वो मंजिल पा गया ।
जो ना किया, उसे ही यहाँ, लगता रहा शर्म ।
और दुसरों पे होता रहा गर्म ।।
यही है आगे-पीछे होने का, सबसे बड़ा कर्म ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 20/01/2021
समय – 11:28 ( सुबह )
संपर्क – 9065388391