समय का आभाव है
समय का आभाव है
जाना भी कहीं नहीं
जल्दी है सभी को
पाना भी कुछ नहीं।
हड़बड़ाहट है सभी को
किस लिए, किसके लिए ?
सुर सभी को चाहिए,
गाना भी कुछ नहीं।
छीनते झपतटे लूटते
जा रहे किस ओर? साथी !
हैं दिग्भ्रमित सब वृत्त में
ले जाना भी कुछ नहीं।