समय का आभाव है
सब लोग व्यस्त हैं, जो नही भी हैं वो कहते हैं कि वो फ्री नही है इसलिए…
समय का आभाव है
जाना भी कहीं नही
शीघ्रता है सभी को
पाना भी कुछ नहीं।
हड़बड़ाहट है सभी को
किस लिए, किसके लिए ?
सुर सभी को चाहिए,
गाना भी कुछ नहीं।
छीनते, झपटे, लूटते,
जा रहे किस ओर साथी !
हैं दिग्भ्रमित सब वृत्त में
ले जाना भी कुछ नहीं।
© “अमित”